आदिवासी समाज अपने मेहनतकश स्वभाव और सहयोग की परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां लोगों के बीच शाहांओ या बेगार के नाम से प्रचलित एक परंपरा है, जिसके तहत ग्रामीण बिना किसी मेहनताना लिए एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आते हैं। रविवार को पांच बजे तक इसी परंपरा के तहत ग्राम पंचायत सुडग़ांव में इन्द्रमेन मार्को के खेत में बेगार का कार्य किया गया।