जरा सोचिए धिक्कार है ऐसी जिंदगी पर
हम जातिवाद धर्मवाद पार्टीवाद के नाम पर आपस में लड़ते हैं ये कैसा जातिवाद कैसा धर्मवाद जब एक भाई अपने ही सगे भाई की बिटिया की शादी में उस भाई का हिस्सा खरीदकर उसकी बिटिया की शादी में पैसा देता है !!
7.4k views | Sakaldiha, Chandauli | Apr 21, 2022