जरा सोचिए धिक्कार है ऐसी जिंदगी पर
हम जातिवाद धर्मवाद पार्टीवाद के नाम पर आपस में लड़ते हैं ये कैसा जातिवाद कैसा धर्मवाद जब एक भाई अपने ही सगे भाई की बिटिया की शादी में उस भाई का हिस्सा खरीदकर उसकी बिटिया की शादी में पैसा देता है !! - Sakaldiha News
जरा सोचिए धिक्कार है ऐसी जिंदगी पर
हम जातिवाद धर्मवाद पार्टीवाद के नाम पर आपस में लड़ते हैं ये कैसा जातिवाद कैसा धर्मवाद जब एक भाई अपने ही सगे भाई की बिटिया की शादी में उस भाई का हिस्सा खरीदकर उसकी बिटिया की शादी में पैसा देता है !!