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"धर्मग्रंथ" का धर्म के प्रति अपना विशिष्ट स्थान है और संविधान का देश के प्रति अपना विशिष्ट स्थान है। देश "धर्मग्रंथ" से नहीं बल्कि "संविधान ग्रंथ" से चलेगा। - Musahri News