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अरावप्युचितं कार्यमातिथ्यं गृहमागते । छेत्तुः पार्श्वगताच्छायां नोपसंहरते द्रुमः||
शत्रु भी यदि अपने घर पर आ जाए तो उसका भी उचित आतिथ्य सत्कार करना चाहिए, जैसे वृक्ष अपने काटने वाले से भी अपनी छाया को कभी नहीं हटाता है।
6.8k views | Shimla Urban, Shimla | Apr 19, 2023