आज हर पालक के हाथ कांप रहे हैं कि आज रात जो दवा वो अपने बच्चों को पिला रहा है कहीं वो भी जहरीली न निकल जाए।
ज़रा सोचिए जीवन भर इस आत्मग्लानि में जीना कि अनजाने में अपने हाथों से ही अपने बच्चों को जहर दे दिया। ये पीड़ा अकल्पनीय है।
394.1k views | Vidisha Nagar, Vidisha | Oct 7, 2025