प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बिजली, यूरिया खाद के लिए हाहाकार मचा हुआ हैं। बीस बीस दिन की वेटिंग के बाद भी पर्याप्त खाद नहीं मिल रहा हैं। खाद की मांग और पूर्ति में जमीन आसमान का अन्तर हैं। जहां एक बीघा के लिए दो बोरी यूरिया खाद मिलनी चाहिए, वहीं वर्तमान में दस बीघा जमीन के किसान को सिर्फ दो बोरी ही खाद मिल रही हैं। प्रदेश का किसान खासकर आदिवासी अंचल का किसा