अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए प्रमोद कहते हैं कि एक समय वे बेरोजगार थे रोजगार की तलाश में उन्होंने कई जगह भटकने के बाद दूसरे प्रदेश में एक बिस्कुट फैक्ट्री में काम किया वहीं उन्होंने बिस्कुट बनाने की तकनीक सीखी अनुभव हासिल करने के बाद वे अपने सहरसा लौटे और खुद का काम शुरू करने का फैसला किया आज वही अनुभव उनके लिए सफलता की सीढ़ी बन गया है,