एगारकुंड: दीपावली आते ही निरसा और चिरकुंडा के कुम्हारों का चाक घूमने लगा, मौसम की बेरुखी से कुम्हारों में मायूसी
गुरुवार की दोपहर 12 बजे बात की तो उन्होंने बताया कि इस वर्ष मौसम की बेरुखी के कारण बाजारों की मांग की अनुसार दिये पूरा कर पाना मुश्किल हैं। निरसा एव चिरकुंडा के कुम्हारों का कहना हैं कि पूर्वजों की यह व्यवसाय की आज भी जीवित रखे हुए हैं पूरा परिवार कड़ी मेहनत और लगन से मिट्टी से बने दिये, मिट्टी के खिलौने,पूजा की कलश और गुल्लक बनाते हैं।