में कहता हू आंखन देखी ___
बढ़ी चतुराई से सत्ता और धर्म जिसे हम तथाकथित मुट्ठीभर लोगों का धर्म कह सकते हैं ने हमें बांटा ताकि उनके शीर्षस्थ पदों पर बैठे माल खा रहे लोगों के समूह की मनमर्ज़ी ऐसे चलती रहे ! - Badod News
में कहता हू आंखन देखी ___
बढ़ी चतुराई से सत्ता और धर्म जिसे हम तथाकथित मुट्ठीभर लोगों का धर्म कह सकते हैं ने हमें बांटा ताकि उनके शीर्षस्थ पदों पर बैठे माल खा रहे लोगों के समूह की मनमर्ज़ी ऐसे चलती रहे !