गोड्डा: जिसने जन्म दिया, जिसने पाला और जिसने चाहा, वह सबका सहारा चला गया
Godda, Godda | Nov 3, 2025 जिसने जन्म दिया, जिसने पाला, जिसने चाहा — सबका सहारा चला गया…” पिता रो रहा है — क्योंकि उसके कंधे पर अब उसके ही बेटे की लाश रखी है। मां बेसुध है — जिसकी कोख का टुकड़ा अब मिट्टी में मिल गया। पत्नी चीख-चीख कर बेहोश हो रही है — जिसके सपनों का साथी अब खामोश पड़ा है। और बेटा... वो तो बस चुप है — जैसे किसी अधूरे वादे को लेकर सो गया हो। कभी किसी ने सोचा है, एक पर