जैन धर्म के भक्तामर स्मृति को संस्कृत एवं हिंदी में अनुवादित को आचार्य श्री मानतुगाचार्य द्वारा रचित जैन धर्म में बड़ा महत्व है कहा जाता है कि मानतुगाचार्य जी ने 48 काव्य में इसकी रचना को जिसे जैन धर्म में विशेष आस्था के रूप में यहां स्मृति मानी जाती है इसका विभिन्न भाषाओं में प्रकाशन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है इसके संयोजक प्रति