नहीं थी पीठ पर एक भी गोली, छ्लनी केवल छाती थी।
जिसके लिए मिट गये वो हिन्दुस्तान धरा की ही माटी थी।
वीर थे रणधीर थे,वे यदुवंशी धारा के नीर थे। कैसे पीछे हटते वो तो “वीर अहिर" थे।
रेजांगला मे शहीद उन 120 यादव वीर सपूतो को श्रद्धांजलि
Madanpur, Aurangabad | Nov 18, 2022