गोरखपुर - ये कहानी किसी स्टेशन की नहीं,ये कहानी उस औरत की है, जिसे उसी वक्त छोड़ दिया गया जब उसके पेट में एक ज़िंदगी सांस ले रही थी।फातिमा(बदला हुआ नाम)उस वक्त ट्रेन में थी जब दर्द असहनीय हो चुका था।पेट में पल रही ज़िंदगी के साथ वह करीब चार घंटे तक दर्द से तड़पती रही,लेकिनउसके पास कोई अपना नहीं था,जिस पति के सहारे पर उसने भविष्य के सपने देखे थे वही छोड़ गया