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ये हिम्मत! ...आप खुलेआम कहें कि हम हिन्दू वोटों को बांटना चाहते हैं, तो आप किसके वोट इकट्ठा करना चाहते हो, ये भेदभाव, ये भाषा लोकतंत्र की है क्या? - Uttar Pradesh News