सिहोरा जिला के आंदोलन में धार लाने के लिए सिहोरा तहसील के कवियों ने मोर्चा संभाला और गुरुवार को बस स्टैंड में चल रहे धरने में आसपास के एक दर्जन कवियों ने सिहोरा के इतिहास की गरिमा, उसके विखंडन और वर्तमान त्रासदी को अपने काव्य में पिरोते हुए सरकार की निद्रा को तोड़ने का भरसक प्रयास किया।