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धरती के अंदर बीज पड़े, अंधेरा ओस नमी ये सहे ! फिर एक दिन अंकुर होता है, चाहे जितनी हो पथरीली जमीन ! धरती की छाती चिर उगें, तब जाकर पौध से ये पेड़ ये होता है !!!! - Shahabad News