चरित्र शुद्धि महामंडल विधान में मुनि श्री विलोक सागर जी का मार्गदर्शन: चरण को नहीं, आचरण को छूना ही सच्ची महानता : मुनि श्री राजाखेड़ा। श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर धर्मशाला में चल रहे तीन दिवसीय 1008 श्री चारित्र शुद्धि महामंडल विधान के दौरान आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य विद्या सागर जी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि विलोक सागर जी महाराज