सिहोरा: सिहोरा में जन आक्रोश, वादा खिलाफी को बताया विश्वासघात, पुतला दहन और सड़क जाम आंदोलन की घोषणा
चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादों की झड़ी लगाकर सिहोरा वासियों से वोट लेना और सत्ता में आते ही उन्हीं वादों को रौंद देना, यह सिर्फ राजनीतिक छल नहीं बल्कि पूरे सिहोरा समाज के आत्मसम्मान पर सीधा प्रहार है। आमरण सत्याग्रह जैसे पवित्र और संवेदनशील आंदोलन को झूठे आश्वासन देकर तुड़वाना और फिर मुकर जाना, सरकार की संवेदनहीनता और दोगले चरित्र को उजागर करता है।