“जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।”
हिन्दी भाषा के प्रमुख कवि, पद्मभूषण से सम्मानित, राष्ट्रकवि <nis:link nis:type=tag nis:id=मैथिलीशरण_गुप्त nis:value=मैथिलीशरण_गुप्त nis:enabled=true nis:link/> जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।