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गुरु बिन भवनिधि तरइ न कोई, जौ बिरंचि संकर सम होई। अर्थात् भले ही कोई ब्रह्माजी और शंकर जी के समान क्यों न हो, किंतु बिना गुरु के भवसागर से नहीं तर सकता। आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ। - Kolaras News