बड़े पद पर बैठा इंसान से ज्यादा उसका व्यक्तित्व तय करता है वह लोगो को किस नजरो से देखता है?
कुर्सी से ज्यादा यदि इंसान का व्यक्तित्व अच्छा है तो पद की गरिमा का मान बना रहता है वरना सब चाटूकारिता के इर्द गिर्द तमाशा बनता है।
लोगो का न्याय पर
बड़े पद पर बैठा इंसान से ज्यादा उसका व्यक्तित्व तय करता है वह लोगो को किस नजरो से देखता है?
कुर्सी से ज्यादा यदि इंसान का व्यक्तित्व अच्छा है तो पद की गरिमा का मान बना रहता है वरना सब चाटूकारिता के इर्द गिर्द तमाशा बनता है।
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