कुशीनगर की संजना ने संघर्ष को अपनी ताकत बना लिया। पिता की बीमारी और गरीबी के बावजूद उन्होंने ताइक्वांडो सीखा और अब बच्चियों व महिलाओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं। उनकी मेहनत ने समाज की सोच बदल दी है। संजना आज नारी सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल बन चुकी हैं।