उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय तक बदहाल स्थिति में रही। 2017 से पहले विद्यालयों में शिक्षक तो थे, लेकिन प्रशिक्षण और संसाधनों की भारी कमी थी। अधिकांश विद्यालयों में न तो पुस्तकालय थे और न ही बच्चों के लिए खेलकूद या डिजिटल शिक्षा जैसी सुविधाएं। ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में तो बच्चों को बुनियादी पठन-पाठन सामग्री तक उपलब्ध नहीं होती थी।