लोद जिले के डेंगरापार में आज भी सदियों पुरानी एक अनूठी परंपरा जीवित है। यहां दशहरा के अवसर पर रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि 15 गांवों के ग्रामीण देव दशहरा पर्व मनाते हैं। हरदेलाल बाबा के मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर मिट्टी से बने घोड़े की प्रतिमा अर्पित करते हैं।