काश! कोई और लाश इस तरह डंडे पर लटककर न जाए. ये झकझोर देने वाली तस्वीर चम्पावत जिले की है। सिस्टम की दुर्दशा ऐसी कि 65 साल के रुईयां निवासी संतोष सिंह का बचपन, जवानी और बुढ़ापा सड़क के इंतजार में कट गया। जब मौत आई तो तिरपाल के टुकड़े में लाश को लपेटकर सिंगल डंडे के सहारे 12 किलोमीटर का सफर तय हुआ। मानसून के सीजन में प्राकृतिक आपदा के साथ सिस्टम की त्रासदी