जिन घरों में बैल नहीं होते, उन घरों में मिट्टी के बैलों की पूजा की गई। ग्राम के पूर्व उपसरपंच जगदीश पटेल ने बताया कि यह पर्व किसानों के लिए अपने बैल रूपी पशुधन के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है, जो उनकी खेती-बाड़ी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शाम 4बजे के लगभग पोला तोड़ने की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी जिसमें बैलों को दौड़ाया जाएगा