शुक्रवार सुबह से दोपहर 12 बजे तक बेतवा नदी के बढ वाले घाट पर तर्पण की प्रक्रिया लगातार जारी रही। शुक्रवार को षष्टी तिथि थी, जिसमें अपने पितरों पूर्वजों और बुजुर्गों के आत्मा की संस्कृति के लिए यह तर्पण किया गया। पुजारी ने बताया कि कई लोग गया जाकर पिंडदान करने के बाद तर्पण नहीं करते हैं,जबकि यह गलत है तर्पण की प्रक्रिया सतत रूप से जारी रहना चाहिए।