गरीब की जान की कोई कीमत नहीं? क्या कानून और सिस्टम सिर्फ रसूख़दारों के लिए बने हैं? 53 वर्षीय मज़दूर महिला पिंकी देवी की मौत ने इन सवालों को ज़िंदा कर दिया है। ठेकेदार की बेरुख़ी, पुलिस की चुप्पी और जनप्रतिनिधियों की खामोशी ने आखिरकार एक गरीब मजदूर की जान निगल ली।