आसुरी शक्ति पर भक्तों की भक्ति की जीत के लिए विष्णु जी ने विभिन्न युगों में अवतरित होकर राक्षसों का संहार किया।और भक्तों की रक्षा की। भक्त प्रहलाद की रक्षा हिरण्यकश्यप राक्षस से करते हुए नरसिंह भगवान ने बुराई पर अच्छाई को विजय दिलाई। इस प्राचीन पौराणिक परंपरा का निर्वहन फाल्गुन मास की चतुर्दशी को होली का दहन मना कर किया जाता है। इसको लेकर महिलाओं ने रविवार को फाल्गुन चतुर्दशी का व्रत रखा। भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की। इसके साथ ही ढाल तलवार जो मिट्टी से बनाए थे उनकी पूजा अर्चना की गई। गोवंश के गोबर से बनाई गई मंडूकली वह रक्षाभेदक, की पूजा अर्चना की गई। महिला होलिका दहन स्थल पर पहुंची और भगवान विष्णु की धूप दीप नैवेद्य पंचगव्य से पूजा अर्चना कर दीप प्रज्वलित किया। कच्चे धागे से परिक्रमा करते हुए जल अर्पित किया। श्रद्धालु महिलाओं ने सुख समृद्धि संतान की दीर्घायु के लिए इस त्यौहार को खुशी उल्लास उमंग से मनाया। पीसी अवधेश सिंह