इस कथा में पंडित श्री तिवारी ने कृष्ण सुदामा मित्रता की कथा सुनाते हुए कहा कि दुनिया में कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता का कोई दूसरा उदाहरण नहीं कृष्णा ने अपने मित्र की दरिद्रता को देखकर रात ही रात में स्वर्ण जणित महल बनवा दिए गले से लगाकर सिंहासन पर बैठा कर 56 प्रकार के भोजन कराए इस आशय की कथा पंडित श्री तिवारी ने सुनाई।