परिजनों ने रविवार शाम 6 बजे बताया कि छठी कक्षा में ही बेटे ने अमेरिका जाने का निश्चय कर लिया था। घर में दो घड़ियां रखता—एक भारतीय समय की और दूसरी अमेरिकी। अमेरिकी फिल्मों से उच्चारण सीखा और टेलीफोन कॉन्फ्रेंसिंग से वहां की जीवनशैली समझने की कोशिश की। किताबों का शौक इतना कि अलमारियां भर दीं। परिजन बताते हैं कि बेटा मेहनती था, जबकि बहन ने साधारण पढ़ाई चुनी। पर