परंपरागत लोक खेलों की शान और ग्रामीण संस्कृति की पहचान बने पश्चिम शरीरा दंगल के दूसरे दिन रविवार को समय करीब 3 बजे अखाड़ा पहलवानों के जोरदार दांव–पेच से गूंज उठा। दूर-दराज से पहुंचे नामी-गिरामी पहलवानों ने अपने दमखम और कला का ऐसा प्रदर्शन किया कि दर्शक तालियां बजाते हुए झूम उठे। सुबह से ही दंगल देखने के लिए गांव और कस्बों से लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा था।