पिता की अर्थी को बेटी ने दिया कंधा, मुखाग्नि दी और कराया मुडन, कहते हैं कि बेटे की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता, लेकिन बेटियां भी बेटों से बढ़कर फर्ज निभाती हैं। ऐसा ही हृदयस्पर्शी दृश्य समीपस्थ गांव पिपलिया विश्निया में देखने को मिला, जब पिता के निधन पर 17 वर्षीय बेटी ने परंपरा की दीवारें तोड़ते हुए बेटे का कर्तव्य निभाया। गांव पिपलिय