ईश्वर आनंद और प्रकाश रजक ने बताया कि अस्पताल परिसर में ब्लड टेस्ट की सुविधा होने के बावजूद मरीजों को निजी क्लिनिक भेजकर उनसे अधिक शुल्क वसूला जाता है। अल्ट्रासाउंड मशीन लंबे समय से खराब है, लेकिन फिर भी मरीजों से ₹1500 से ₹1800 तक वसूले जाते हैं। गरीब और दिहाड़ी मजदूर वर्ग के मरीज इस अतिरिक्त बोझ को वहन नहीं कर पाते और उचित उपचार से वंचित रह जाते हैं।