आखिरकार बीते एक पखवाडे से चल रही मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा का शनिवार दो बजे समापन हो गया। उच्च हिमालयी बुग्याल में श्रद्धालुओं नें पौराणिक लोकगीतों और जागर गाकर हिमालय की अधिष्टात्री देवी माँ नंदा को कैलाश के लिये विदा कियाखासतौर पर ध्याणियां मां नंदा की डोली को कैलाश विदा करते समय फफककर रो पड़ी।