प्रवक्ता डॉ मक्खन लाल जैन ने बताया कि श्री शीतलनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर किले अंदर में दसलक्षण धर्म विधान के तीसरे दिन जयपुर से पधारे पंडित सिंघई श्रेयांस शास्त्री द्वारा सायंकालीन उत्तम आर्जव धर्म पर व्यवस्था दी गई। उत्तम आर्जव अर्थात् सम्यकदर्शन पूर्वक वीतरागी सरलता । आत्मा के ज्ञायक स्वरूप में कपट का भाव ही नहीं उत्पन्न होने देना वो उत्तम सरलता है ।