संस्कृति नगरी पौड़ी की ऐतिहासिक रामलीला मंचन में "जानकी तुम बिन जीना निकाम है, तुम जानती हो तुम बिन मुझको न चैन है। देखो विपद में तुमने भी हमको तज दिया, अब जा अवध में तुम बिन मेरा क्या काम है।" लंका पति रावण द्वारा सीता हरण के उपरांत पंचवटी में राम लक्ष्मण के वापस लौटने पर कुटिया में सीता को न पाकर राम का यह मार्मिक विलाप दर्शकों की आंखों को नम कर गया।