कथा में राधिका माधव समझती हैं कि जो भक्त भगवान के चरणों में विश्वास रखता है तो उसकी हर वाधा स्वत ही दूर हो जाती है। जैसे गजराज ने संकट की घड़ी में नारायण का आर्तनाद किया, वैसे ही जीवन में संकट चाहे कितने भी गहरे क्यों ना हो भगवान अपने भक्त का हाथ थाम लेते हैं।