खुशीराम की तबीयत अचानक बिगड़ने पर उनका बेटा कमलेश कुमार उन्हें लेकर निघासन CHC पहुंचा। लेकिन वहां घंटों डॉक्टर का इंतजार करने के बाद भी कोई इलाज शुरू नहीं हुआ। समय से इलाज न मिल पाने के कारण बेटे के सामने तड़पते-तड़पते खुशीराम ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। इतना ही नहीं जब खुशी राम की मौत हो गई तो निघासन CHC में एक स्टेचर तक नसीब नहीं हुआ है।