बच्चों की पठन क्षमता एवं पढ़ने की आदत के विकास हेतु केवल पाठयपुस्तके ही पर्याप्त नहीं होती है।जब विद्यार्थी विविध,रुचिकर एवं आयु उपयुक्त पठन सामग्री से जुड़ते है,तो न केवल उनके पठन कौशल का विकास होता है बल्कि उनमें आजीवन पढ़ने की आदत भी विकसित होती है।