कथा के अंतिम दिन आज महाराज श्री ने सुंदरकांड की विवेचना करते हुए कहाकी सभी कांड हमको नाम के हिसाब से मालूम पड़ते हैं लेकिन सुंदरकांड का नाम सुंदरकांड क्यों पड़ा क्योंकि उसमें हनुमान जी की सुंदर लीला है जो राम जी को पसंद है इसके लिए उसका नाम सुंदरकांड लिखा गया भागवत समिति ने महाराज श्री का शालज्ञश्रीफल से अभिनंदन किया और पधारे हुए सभी भक्तों का आभार माना