जो 'वंदे मातरम' व 'भारत माता की जय' तक नहीं बोल सकते वे 'मां दुर्गा की जय' कैसे बोलेंगे! और, जो मां दुर्गा की जय भी नहीं बोल सकते वे भला दुर्गा पूजा या गरबा में किस लिए आयेंगे, समझने की बात है। दुर्गा पूजा या गरबा के आयोजन कोई नाटक, शो, पर्यटन, मनोरंजन या सिर्फ कला का सेक्युलर प्रेजेंटेशन तो हैं नहीं!!