चंबल में गणेश उत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।जगह-जगह पंडाल सज गए हैं और मुरैना में कोलकाता से आए कलाकार मिट्टी के गणेश को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।पर्यावरण संरक्षण के लिए लोग मिट्टी की प्रतिमाओं को ही पहली पसंद बना रहे हैं।पीओपी पर रोक के बाद 2012 से यह परंपरा शुरू हुई थी।शुरुआत में सिर्फ 10 मूर्तियां बनी थीं,अब 50 गणेश की प्रतिमाओं के ऑर्डर मिले।