कोरबा जहाँ प्रदूषण का बोझ हर नागरिक की छाती पर बैठा है,वहां अशोक वाटिका एक उम्मीद बनकर सामने आया था। करोड़ों की लागत से विकसित यह “ऑक्सीज़ोन” शहरवासियों को निःशुल्क टहलने, योगा और खेलकूद का ठिकाना देता रहा। यह सिर्फ एक पार्क नहीं था, बल्कि कोरबा की सांसों का सहारा था।