मिथिलांचल में चौरचन या चोठचंद्र का पर्व धूमधाम से मनाया गया है। यह पर्व केवल मिथिला क्षेत्र में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 16वीं सदी में खंडवाला वंश के मिथिला नरेश हेमांगद ठाकुर के समय से हुई। हेमांगद ठाकुर अपने भाई की मृत्यु के बाद राजा बने। वे धार्मिक प्रवृत्ति के थे और पूजा-पाठ में अधिक समय देते थे।