अब मधुमक्खी पालन केवल अतिरिक्त आमदनी का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि यह कृषि उत्पादकता बढ़ाने, ग्रामीण रोजगार उपलब्ध कराने और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है,उन्होंने कहा कि यदि युवा वर्ग इससे जुड़ी सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षणों का सही लाभ उठाए, तो आने वाले वर्षों में कांगड़ा जिला शहद उत्पादन का हब बन सकता है।