“पिछड़ा, अति-पिछड़ा, दलित, आदिवासी दान देने के लिए है, चढ़ावा चढ़ाने के लिए हैं, कथा सुनने के लिए भी है, लेकिन कथा सुना नहीं सकता!
हम बहुसंख्यक हैं और किसी ने बिहार में ऐसा करने का सोचा भी तो हम छोड़ेंगे नहीं।”
hargovind88

1.1k views | Chhatarpur Nagar, Chhatarpur | Jun 25, 2025